रमई काका

रमई काका एक अवधी भाषा के कवि रहेन। अवधी के आधुनिक कबियन मा सबसे पापुलर कवि रमई काका कै जनम रावतपुर, उन्नाव जिला (अवध) मा दुइ फरौरी सन्‌ १९२५ क भा रहा। काका जी कै पूरा नाव है चंद्रभूसन तिरबेदी। काका केरी कबिताई मा व्यंग्य कै छटा जनता के जबान पै चढ़ि के बोलति रही। आजौ कविता कै उहै असर बरकरार अहै। १९४० से काका जी आकासबानी मा काम करै लागे अउर तब से काका जी कै ख्याति बढ़तै गै। आकासबानी लखनऊ से काका जी कै प्रोग्राम ‘बहिरे बाबा’ बहुतै सराहा गवा। काका जी के कार्यक्रम कै प्रस्तुति बी.बी.सी.

लंदन से ह्वै चुकी है। इनकै कबिता चौपाल मा, किसानन के खेतन मा, मेलन मा, चौराहन पै सहजै मिलि जात है। ‘भिनसार’, ‘बौछार’, ‘फुहार’, ‘गुलछर्रा’, ‘नेताजी’ जैसे कयिउ काब्य-संग्रह हजारन की संख्या मा छपे अउर बिके। दूर-दूर तक अपनी लोक-भासा कै जस फैलाय के माटी कै ई सपूत अठारह अपरैल सन्‌ १९८२ क ई दुनिया छोड़ दिहिस।

प्रमुख कृतियाँ

  • ‘भिनसार’,
  • ‘बौछार’,
  • ‘फुहार’,
  • ‘गुलछर्रा’,
  • ‘नेताजी’

बाहर के कड़ियाँ

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